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महावीर प्रसाद द्विवेदी युग और उसकी विशेषताएँ

<< वैचारिक पृष्ठभूमि (इकाई – IV) महावीर प्रसाद द्विवेदी युग महावीर प्रसाद द्विवेदी: जीवन और योगदान महावीर प्रसाद द्विवेदी (1864-1938) हिंदी साहित्य के एक महान लेखक, संपादक और पत्रकार थे। वे हिंदी साहित्य के समृद्धि और विस्तार के लिए महत्वपूर्ण योगदान देने वाले पहले व्यक्ति थे। उनके योगदान ने हिंदी भाषा और साहित्य की दिशा को नया मोड़ दिया। महत्वपूर्ण योगदान: उन्हें "हिंदी गद्य साहित्य के निर्माता" के रूप में जाना जाता है। वे हिंदी जगत के सम्राट थे, जिनका उद्देश्य हिंदी को संस्कृत की तरह सम्मान दिलाना था। द्विवेदी जी ने कई पत्रिकाओं का संपादन किया और हिंदी साहित्य में उच्च स्तरीय सुधार किए। Contents [ hide ] महावीर प्रसाद द्विवेदी का साहित्यिक दृष्टिकोण महावीर प्रसाद द्विवेदी का साहित्यिक दृष्टिकोण "संपूर्ण मानवता के विकास" पर आधारित था। वे साहित्य में राष्ट्रीयता, सामाजिक उत्थान, और संस्कृति को बढ़ावा देने के पक्षधर थे। उनकी लेखनी में भारतीय संस्कृति और सामाजिक मूल्यों की रक्षा की भावना प्रबल थी। साहित्यिक दृष्टिकोण के...

भारतेन्दु हरिश्चंद्र और हिंदी नवजागरण

<< वैचारिक पृष्ठभूमि (इकाई – IV) परिचय भारतेन्दु हरिश्चंद्र का जीवन परिचय भारतेन्दु हरिश्चंद्र (1850-1885) को “हिंदी नवजागरण का जनक” कहा जाता है। इनका जन्म 9 सितंबर 1850 को वाराणसी में हुआ था। इनके पिता गोपालचंद्र स्वयं एक कवि थे और "गिरधर दास" उपनाम से कविता लिखते थे। भारतेन्दु ने बाल्यकाल से ही साहित्य में रुचि दिखानी शुरू कर दी थी। भारतेन्दु जी ने साहित्य, समाज सुधार, और पत्रकारिता के माध्यम से राष्ट्रीय चेतना को जाग्रत करने का कार्य किया। हिंदी साहित्य में उनकी भूमिका इतनी महत्वपूर्ण थी कि उनके नाम पर “भारतेन्दु युग” नामक एक साहित्यिक कालखंड का निर्धारण किया गया। वे राष्ट्रीयता, सामाजिक सुधार, स्त्री शिक्षा और स्वदेशी आंदोलन से जुड़े थे। उन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से भारतीय जनता को ब्रिटिश शासन के विरुद्ध जागरूक करने का कार्य किया। Contents [ hide ] हिंदी नवजागरण का अर्थ और महत्व नवजागरण का अर्थ है - "नया जागरण" या जागरूकता का उदय" । यह एक सांस्कृतिक, सामाजिक और साहित्यिक आंदोलन था, जिसने भारतीय समाज में आधुन...

फोर्ट विलियम कॉलेज का योगदान

<< वैचारिक पृष्ठभूमि (इकाई – IV) फोर्ट विलियम कॉलेज का योगदान फोर्ट विलियम कॉलेज: परिचय 1. फोर्ट विलियम कॉलेज की स्थापना: फोर्ट विलियम कॉलेज की स्थापना 4 मई 1800 को गवर्नर-जनरल लॉर्ड वेलेस्ली ने की थी। यह कॉलेज कोलकाता (तत्कालीन कलकत्ता) में स्थित था। इसका उद्देश्य ब्रिटिश अधिकारियों को भारतीय भाषाओं एवं संस्कृति का शिक्षण देना था ताकि वे भारतीय प्रशासन को सुचारू रूप से चला सकें। Contents [ hide ] 2. फोर्ट विलियम कॉलेज की भाषा नीति: इस कॉलेज में हिंदी, उर्दू, फारसी, संस्कृत, बंगाली और अन्य भारतीय भाषाओं को बढ़ावा दिया गया। हिंदी भाषा और साहित्य के विकास में इसका बड़ा योगदान रहा। यहां अंग्रेज अधिकारियों के लिए हिंदी का शिक्षण हुआ, जिससे हिंदी गद्य साहित्य के विकास की नींव पड़ी। 3. फोर्ट विलियम कॉलेज की प्रमुख विशेषताएँ: यह एक अनुवाद केंद्र के रूप में कार्य करता था, जहाँ विभिन्न भारतीय भाषाओं में ग्रंथों का अनुवाद किया जाता था। भारतीय भाषाओं के पहले व्यवस्थित व्याकरण और शब्दकोश यहीं तैयार किए गए। इस कॉ...